Den उद्यमिता स्कूल : परोपकार है या कुशल कर्म
डेन परिवार द्वारा चलाई जा रही कोचिंग के विषय में अनेकों प्रश्न साथियों के मन में आते हैं आइए दीप निशुल्क कोचिंग के संरक्षक डॉ प्रवीण कुमार से बात करते हैं और उन से अनुरोध करते हैं कि इस विषय में मकसद स्पष्ट करें
1. क्या परोपकार की भावना से बच्चों को बिना पैसे लिए पढ़ाया जाता है?
उत्तर: नहीं, हमारे लिए यह परोपकार का काम नहीं है बल्कि नैतिक कर्तव्य है, पे बैक टू सोसायटी है यह तथागत बुद्ध द्वारा बताया गया कुशल कर्म है जिसे करने का प्रयास कर आप सभी के सहयोग से हम कर रहे हैं किसी पर भी कोई उपकार नहीं कर रहे हैं बल्कि अपनी नैतिक जिम्मेदारी को पूरा कर रहे हैं
2. क्या फर्क पड़ेगा कुछ बच्चों (30-40) को पढ़ा कर, जरूरत तो करोड़ों को है?
उत्तर: निश्चित रूप से हम समझते हैं जरूरत बहुत बड़ी है और हम बहुत थोड़ा ही कर पा रहे हैं परंतु साथ ही हम यह भी मानते हैं कि बूंद बूंद से ही सागर भरता है बेशक यह छोटी शुरुआत है परंतु यदि समाज में इस प्रकार की चेतना विकसित हो तो निश्चित ही सामाजिक सशक्तिकरण हो सकेगा
3. क्या यह काम व्यक्तिगत वाहवाही या किसी और निहित स्वार्थ के लिए किया जाता है?
उत्तर: बिल्कुल नहीं, यह काम किसी भी प्रकार की प्रशंसा, सम्मान या किसी अन्य प्रकार के व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नहीं करते करते जैसा मैंने पहले कहा कि यह कार्य हमारे लिए एक नैतिक जिम्मेदारी है भविष्य की पीढ़ी में किया जाने वाला निवेश है आखिर हम भी बाबा साहब और समाज के महापुरुषों के त्याग और प्रयासों के कारण ही सामर्थ्य वान बन पाए हैं निश्चित ही समाज से बहुत सम्मान मिलता है इसके लिए हम बहुत आभारी हैं
4. यदि यदि आप ऐसे 2-4 संस्थान शुरू कर भी देंगे क्या फर्क पड़ जाएगा?
उत्तर: भारत में लाखों स्कूल-कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान हैं हर गांव कस्बे में सरस्वती शिशु मंदिर है, क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल है मदरसे हैं परंतु तथागत बुद्ध के पद चिन्हों चलने वाले शैक्षणिक संस्थान गिनती के ही हैं निश्चित ही 2-4 संस्थान शुरू करने से कुछ ना होगा बल्कि श्रमण संस्कृति पर चलने वाले हजारों शिक्षा संस्थान शुरू होने चाहिए
मेरा समाज के सभी सम्मानित साथियों से निवेदन है कि आप जहां भी हो ऐसे शैक्षणिक संस्थानों को चलाने का प्रयास करें यदि हम सच्चा सामाजिक सशक्तिकरण देखना चाहते हैं तो निश्चित ही यह काम करना पड़ेगा इस कार्य में यदि मैं व्यक्तिगत रूप से कुछ भी सहयोग कर सकूं तो जीवन सफल मानूंगा
5. आखिर उद्देश्य क्या है आपका, आप इस मिशन से क्या हासिल करना चाहते हैं?
उत्तर: मेरा व्यक्तिगत उद्देश्य है ki सभी बच्चों को बराबर के मौके मिलने चाहिए ऐसे संस्थान होने चाहिए जहां छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब लड़का-लड़की और जात-दुजात का भेद ना हो जहां सम्यक विद्या का दान दिया जाए आने वाली पीढ़ियों को आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक रूप से मजबूत बनाया जाए जहां केवल अक्षर ज्ञान ना दिया जाए बल्कि उन्हें खुद पर विश्वास रखना सिखाया जाए
6. आपने अब तक चलाए गए अपने इस मिशन में क्या हासिल किया है?
उत्तर: जैसा मैंने ऊपर कहा कि हम केवल अक्षर ज्ञान देने की बात नहीं करते बल्कि बच्चों का मनोबल बढ़ाना और वैज्ञानिक सोच से लैस करते हैं हमारे छात्र-छात्राएं यूपी- पीसीएस मैं सफल हुए हैं तथा केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, दिल्ली मेट्रो में भी सफल हुए हैं
इन सफलताओं से भी अधिक हम अपनी छात्र छात्राओं को भविष्य के लिए सपने देने में सफल हुए हैं अभी हाल ही में 15 मार्च को छात्र-छात्राओं ने शानदार कार्यक्रम प्रस्तुत किया जहां सभी का हुनर देखने लायक था ऐसा केवल उन पर विश्वास और उन्हें उचित मौक देने के कारण ही हो पाया है
7. दीप कोचिंग के अंतर्गत क्या प्रोजेक्ट चल रहे हैं?
उत्तर: हम पिछले 3 सालों से छात्र छात्राओं को आईएएस पीसीएस परीक्षाओं की तैयारी निशुल्क रूप से करवा रहे हैं पलवल हरियाणा के गांव-खानबी मैं लाइब्रेरी कम स्टडी सेंटर चल रहा है नोएडा मैंमेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस की निशुल्क तैयारी करवा रहे हैं और फरीदाबाद में भी इसी प्रकार का सेंटर चलाने की के लिए प्रयासरत हैं
8. आप अपने संदेश में क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर: मैं समाज के सभी छात्र छात्राओं को कहना चाहूंगा कि वे खुद पर विश्वास रखें, उनमें से हर एक अनूठा है अद्वितीय है बस अपने लिए सही मौके की तलाश करें उसके लिए दृढ़ संकल्प से प्रयास करें निश्चित रूप से आप सफल होंगे
साथ ही मैं अपने सभी सम्मानित साथियों से एक बार फिर से निवेदन करना चाहूंगा कि हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए किस प्रकार के अनेकों अनेक संस्थान समाज में खोलें ताकि एक मजबूत और सामर्थ्य सामर्थ्य वान समाज का निर्माण किया जा सके
1. क्या परोपकार की भावना से बच्चों को बिना पैसे लिए पढ़ाया जाता है?
उत्तर: नहीं, हमारे लिए यह परोपकार का काम नहीं है बल्कि नैतिक कर्तव्य है, पे बैक टू सोसायटी है यह तथागत बुद्ध द्वारा बताया गया कुशल कर्म है जिसे करने का प्रयास कर आप सभी के सहयोग से हम कर रहे हैं किसी पर भी कोई उपकार नहीं कर रहे हैं बल्कि अपनी नैतिक जिम्मेदारी को पूरा कर रहे हैं
2. क्या फर्क पड़ेगा कुछ बच्चों (30-40) को पढ़ा कर, जरूरत तो करोड़ों को है?
उत्तर: निश्चित रूप से हम समझते हैं जरूरत बहुत बड़ी है और हम बहुत थोड़ा ही कर पा रहे हैं परंतु साथ ही हम यह भी मानते हैं कि बूंद बूंद से ही सागर भरता है बेशक यह छोटी शुरुआत है परंतु यदि समाज में इस प्रकार की चेतना विकसित हो तो निश्चित ही सामाजिक सशक्तिकरण हो सकेगा
3. क्या यह काम व्यक्तिगत वाहवाही या किसी और निहित स्वार्थ के लिए किया जाता है?
उत्तर: बिल्कुल नहीं, यह काम किसी भी प्रकार की प्रशंसा, सम्मान या किसी अन्य प्रकार के व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नहीं करते करते जैसा मैंने पहले कहा कि यह कार्य हमारे लिए एक नैतिक जिम्मेदारी है भविष्य की पीढ़ी में किया जाने वाला निवेश है आखिर हम भी बाबा साहब और समाज के महापुरुषों के त्याग और प्रयासों के कारण ही सामर्थ्य वान बन पाए हैं निश्चित ही समाज से बहुत सम्मान मिलता है इसके लिए हम बहुत आभारी हैं
4. यदि यदि आप ऐसे 2-4 संस्थान शुरू कर भी देंगे क्या फर्क पड़ जाएगा?
उत्तर: भारत में लाखों स्कूल-कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान हैं हर गांव कस्बे में सरस्वती शिशु मंदिर है, क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल है मदरसे हैं परंतु तथागत बुद्ध के पद चिन्हों चलने वाले शैक्षणिक संस्थान गिनती के ही हैं निश्चित ही 2-4 संस्थान शुरू करने से कुछ ना होगा बल्कि श्रमण संस्कृति पर चलने वाले हजारों शिक्षा संस्थान शुरू होने चाहिए
मेरा समाज के सभी सम्मानित साथियों से निवेदन है कि आप जहां भी हो ऐसे शैक्षणिक संस्थानों को चलाने का प्रयास करें यदि हम सच्चा सामाजिक सशक्तिकरण देखना चाहते हैं तो निश्चित ही यह काम करना पड़ेगा इस कार्य में यदि मैं व्यक्तिगत रूप से कुछ भी सहयोग कर सकूं तो जीवन सफल मानूंगा
5. आखिर उद्देश्य क्या है आपका, आप इस मिशन से क्या हासिल करना चाहते हैं?
उत्तर: मेरा व्यक्तिगत उद्देश्य है ki सभी बच्चों को बराबर के मौके मिलने चाहिए ऐसे संस्थान होने चाहिए जहां छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब लड़का-लड़की और जात-दुजात का भेद ना हो जहां सम्यक विद्या का दान दिया जाए आने वाली पीढ़ियों को आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक रूप से मजबूत बनाया जाए जहां केवल अक्षर ज्ञान ना दिया जाए बल्कि उन्हें खुद पर विश्वास रखना सिखाया जाए
6. आपने अब तक चलाए गए अपने इस मिशन में क्या हासिल किया है?
उत्तर: जैसा मैंने ऊपर कहा कि हम केवल अक्षर ज्ञान देने की बात नहीं करते बल्कि बच्चों का मनोबल बढ़ाना और वैज्ञानिक सोच से लैस करते हैं हमारे छात्र-छात्राएं यूपी- पीसीएस मैं सफल हुए हैं तथा केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, दिल्ली मेट्रो में भी सफल हुए हैं
इन सफलताओं से भी अधिक हम अपनी छात्र छात्राओं को भविष्य के लिए सपने देने में सफल हुए हैं अभी हाल ही में 15 मार्च को छात्र-छात्राओं ने शानदार कार्यक्रम प्रस्तुत किया जहां सभी का हुनर देखने लायक था ऐसा केवल उन पर विश्वास और उन्हें उचित मौक देने के कारण ही हो पाया है
7. दीप कोचिंग के अंतर्गत क्या प्रोजेक्ट चल रहे हैं?
उत्तर: हम पिछले 3 सालों से छात्र छात्राओं को आईएएस पीसीएस परीक्षाओं की तैयारी निशुल्क रूप से करवा रहे हैं पलवल हरियाणा के गांव-खानबी मैं लाइब्रेरी कम स्टडी सेंटर चल रहा है नोएडा मैंमेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस की निशुल्क तैयारी करवा रहे हैं और फरीदाबाद में भी इसी प्रकार का सेंटर चलाने की के लिए प्रयासरत हैं
8. आप अपने संदेश में क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर: मैं समाज के सभी छात्र छात्राओं को कहना चाहूंगा कि वे खुद पर विश्वास रखें, उनमें से हर एक अनूठा है अद्वितीय है बस अपने लिए सही मौके की तलाश करें उसके लिए दृढ़ संकल्प से प्रयास करें निश्चित रूप से आप सफल होंगे
साथ ही मैं अपने सभी सम्मानित साथियों से एक बार फिर से निवेदन करना चाहूंगा कि हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए किस प्रकार के अनेकों अनेक संस्थान समाज में खोलें ताकि एक मजबूत और सामर्थ्य सामर्थ्य वान समाज का निर्माण किया जा सके